किसी देश का विकास महिलाओं के विकास के समानुपाती होता है। महिलाओं की शिक्षा व स्वास्थ्य, को लेकर जागरुकता देश के विकास के पैमाने होते हैं। समाज के रुढ़िवादी होने की कीमत अक्सर समाज के सबसे पिछड़े हिस्सों में से एक महिलाओं को चुकानी पड़ती है। पीरियड यानी माहवारी को लेकर हमारे समाज में अभी भी भ्रम है, ये एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में आज भी हम खुल कर बात नहीं करते, जिसकी वजह से अक्सर ही महिलाओं को अनेक भयानक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। माहवारी के बारे में जागरूकता न होने से समाज का पिछड़ापन और मानसिक दिवालियापन उजागर होता है। माहवारी की समस्याओं से बचने के कई उपायों में से एक है सैनिटरी नैपकिन। अनेक सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई जागरूकता अभियान चलाए जाने के बाद सैनिटरी नैपकिन के प्रयोग में वृद्धि तो हुई है, लेकिन सैनिटरी नैपकिन के सही तरीके से इस्तेमाल करने को लेकर भी कई भ्रम हैं।
महिलाएं हो जाएं सावधान, सैनिटरी नैपकिन न इस्तेमाल करने से हो सकती है कई गंभीर बीमारियां